किसान इस समय पर करें कपास की बिजाई, कृषि विभाग ने दी किसानों को सलाह

.. -


April 16, 2024 देश के कई इलाकों में 20 अप्रैल से कपास की बुवाई का काम शुरू हो जाएगा। पिछले वर्ष कई इलाक़ों में गुलाबी सुंडी से कपास की फसल को काफी नुकसान हुआ था। जिसको देखते हुए कृषि विभाग द्वारा तैयारी शुरू की जा चुकी है। पिछले वर्ष राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले में गुलाबी सुंडी के कारण कपास की फसल को बड़े स्तर पर नुकसान हुआ था। इस बार भी नुकसान की आशंका जताई जा रही है। कपास खरीफ सीजन की मुख्य फसल होने के चलते कीट का प्रकोप होने पर अर्थव्यवस्था पर भी इसका असर पड़ता है। जिसको देखते हुए राजस्थान सरकार खरीफ सीजन 2024 में गुलाबी सुंडी की रोकथाम के लिए किसानों के बीच जागरूकता लाने का काम कर रही है। इसके लिए सरकार किसानों के बीच संगोष्ठी, पंपफ्लेट, सोशल मिडिया का सहारा लेगी। इसके साथ ही यहाँ के किसानों को समय पर बिजाई करने, बिजाई के दौरान उपयुक्त दूरी रखने और बीज की मात्रा आदि की जानकारी किसानों को दी जा रही है।

किसान समय पर करें कपास की बिजाई
कृषि विभाग के अधिकारियों के अनुसार कपास की बुवाई 20 अप्रैल से 20 मई के बीच करना फायदेमंद रहता है। अगेती और पिछेती बिजाई हर बार कारगर नहीं होती है। ऐसे में किसानों को उपयुक्त समय पर ही बिजाई करनी चाहिए। सिंचाई के लिए पानी की व्यवस्था नहीं होने की स्थिति में कपास की पिछेती बिजाई करने की बजाए किसान मूंग, मोठ, आदि फसल की बुआई कर सकते हैं। इसके अलावा विभागीय अधिकारी और फील्ड स्टाफ की ओर से किसानों को बिजाई संबंधी विभिन्न तकनीकी जानकारी भी दी जा रही है।

गुलाबी सुंडी से कपास को हुआ था 80 फीसदी नुकसान

हनुमानगढ़ जिले में पिछले साल 2 लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में बीटी कॉटन की बिजाई की गई थी। जिसमें से गुलाबी सुंडी के प्रकोप से 80 प्रतिशत से अधिक फसलें नष्ट हो गई थी, इसलिए किसान इस बार ऐसे बीज की तलाश में है जिनमें गुलाबी सुंडी का प्रकोप न हो। सोशल मिडिया पर बीटी 4 तक किस्म के बीज होने का दावा किया जा रहा है और इसमें यह भी बताया जा रहा है कि गुलाबी सुंडी का प्रकोप नहीं होता है। इसलिए किसान भी नकली कंपनियों के झांसे में आ जाते हैं। जबकि कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि अब तक बीटी-2 किस्म का बीज ही उपलब्ध है, इस किस्म में गुलाबी सुंडी की प्रतिरोधी क्षमता नहीं है। अब तक इसको लेकर रिसर्च में नहीं हुई है।

किसान इस तरह करें कपास की बुआई
कृषि विभाग के मुताबिक जिले में कपास की बुवाई का समय 20 अप्रैल से 20 मई उपयुक्त माना जाता है। बुवाई से पहले अच्छे बीज का चुनाव जरुरी है। बीटी कॉटन का एक बीघा में एक पैकेट (475 ग्राम) बीज ही उपयोग में लेने की सलाह दी गई है। वहीं प्रति बीघा 2 से 3 पैकेट डालना फायदेमंद नहीं होता है। बुआई के लिए बीटी कॉटन की ढाई फीट वाली बुआई मशीन को 108 सेमी. (3 फीट) पर सेट करना चाहिए। किसी भी हालत में 3 फीट से कम दुरी पर बीजाई नहीं करनी चाहिए।


प्रथम सिंचाई के बाद में पौधों से पौधे की दुरी 2 फीट रखने के लिए विरलीकरण आवश्यक रूप से करना चाहिए। बीजाई के समय सिफारिश उर्वरक बैसल में अवश्य देना चाहिए, क्योंकि बैसल में दिए जाने वाले उर्वरक खड़ी फसल में देने से अधिक कारगर परिणाम नहीं देते हैं।
वहीं कृषि विभाग के अधिकारियों के अनुसार पिछले वर्ष जिले में बीटी कॉटन की मार्च के अंत से बिजाई शुरू हो गई थी जो मई अंत तक चली थी। गुलाबी सुंडी का प्रकोप, बॉल सड़ने के रोग तथा बॉल के अपरिपक्व रहने से आशा अनुरूप कॉटन का उत्पादन नहीं मिला। ऐसे में किसानों को बिजाई से पहले अपने खेतों में भंडारित की गई कॉटन बनछटियों के ढेर का निस्तारण कर देना चाहिए।


Share to ....: 855    


Most viewed


Short Message Board

Weather Forecast India

Visiter's Status

Visiter No. 34795115

Saying...........
Teamwork is essential. It allows you to blame someone else.





Cotton Group