जोधपुर की तरह भीलवाड़ा में टेक्सटाइल पार्क का भेजे प्रस्ताव
भीलवाड़ा. राजस्थान के बजट से उद्यमियों को काफी उम्मीदें है। प्रदेश की कांग्रेस सरकार का इस कार्यकाल का यह अन्तिम बजट होगा। -
February 06, 2023 भीलवाड़ा. राजस्थान के बजट से उद्यमियों को काफी उम्मीदें है। प्रदेश की कांग्रेस सरकार का इस कार्यकाल का यह अन्तिम बजट होगा। बजट को लेकर औद्योगिक सगठनों ने भी कई सुझाव दिए हैं। इसमें मुख्य रूप से भीलवाड़ा को टेक्सटाइल पार्क मिले, इसके लिए जोधपुर की तरह भीलवाड़ा का भी प्रस्ताव भेजने की मांग की गई है। मेवाड़ चैम्बर ऑफ कॉमर्स ने राज्य के बजट में कई मुद्दों को शामिल करने का सुझाव दिया है।
भूमि की भू-उपयोग परिवर्तन
आवासीय भूमि के समीप रीको औद्योगिक व अन्य क्षेत्र में इकाइयां स्थापित है। ऐसे खातेदारों को अपनी भूमि पर नियमानुसार उद्योग स्थापित करने या औद्योगिक संचालित करने के लिए भू-उपयोग परिवर्तन प्रक्रिया से मुक्त किया जाए।
भूमि आवंटन नीति बने
नवम्बर 2021 में जिला स्तरीय निवेश सम्मेलन में उद्यमियों ने नई औद्योगिक इकाइयों की स्थापना के लिए एलओआई हस्ताक्षरित किए। जमीन उपलब्ध नहीं होने से वे नई इकाइयां नहीं लगा पा रहे हैं। ऐसी इकाइयों को रियायती दरों पर भूमि आवंटित करने के लिए सरकार भूमि आवंटन नीति बनाए। इससे राज्य में अतिरिक्त निवेश आएगा और हजारों श्रमिकों के लिए नए रोजगार भी सृजित होंगे।
कलक्टर को मिले अधिकार
औद्योगिक भूमि रुपान्तरण के लिए पूर्व में 2 लाख वर्ग मीटर तक के अधिकार जिला कलक्टर के स्तर पर थे। राजस्व विभाग ने आदेश जारी कर जिला कलक्टर के अधिकार दो लाख वर्ग मीटर से घटाकर पचास हजार वर्ग मीटर कर दिए। इस आदेश को बदल कर पांच लाख वर्ग मीटर तक के अधिकार कलक्टर को दिए जाए।
डीएलसी दर कम करें
उद्यमी राष्ट्रीय या राज्य राजमार्ग के पास कृषि भूमि खरीदते हैं, लेकिन वहां की डीएलसी दरें बाजार दरों की तुलना में अधिक हैं। इससे औद्योगिक भूमि में परिवर्तित होने के दौरान अतिरिक्त वित्तीय भार पड़ रहा है। ऐसे में डीएलसी दरों की समीक्षा की जाकर उन्हें बाजार दरों के बराबर लाया जाना चाहिए।
भूजल बोर्ड का गठन
पिछले बजट में राज्य के लिए राज्य स्तरीय भूगर्भ जल बोर्ड गठित करने की घोषणा की थी लेकिन उसका गठन नहीं हुआ। राज्य भूजल बोर्ड का गठन किया जाए। इससे औद्योगिक इकाइयों को विस्तार एवं नई इकाइयों की स्थापना हो सकेगी।
पूंजीगत सब्सिडी व ब्याज अनुदान मिले
मध्यप्रदेश में 10 से 40 प्रतिशत की दर से पूंजीगत अनुदान पांच वर्षों में चार किश्तों में किया जा रहा है। राजस्थान में नई आरआईपी 2022 में पूंजीगत अनुदान की पूर्ति दस वर्षों में दस किश्तों में 13 से 28 प्रतिशत की दर से किया जाना बताया गया है। इसे मध्यप्रदेश की तरह, पूंजीगत सब्सिडी की पूर्ति पांच वर्षों में की जानी चाहिए।
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